एमडीयू में शिक्षकों का टोटा, 2 कोर्स, 280 विद्यार्थी, 10 शिक्षक

 


एमडीयू में शिक्षकों का टोटा, 2 कोर्स, 280 विद्यार्थी, 10 शिक्षक


रोहतक। दो कोर्स, 280 विद्यार्थी, दस शिक्षक। इसमें भी 160 विद्यार्थी तीन वर्षीय व 120 विद्यार्थी पंच वर्षीय कोर्स के हैं। इन विद्यार्थियों की अलग-अलग सेमेस्टर के हिसाब से कक्षाएं भी अलग हैं। ऐसे में सभी विद्यार्थियों को शिक्षक मिलना या नियमित कक्षा लगना मुश्किल है। या यूं कहें कि द्रोण बगैर एकलव्य तैयार हो रहे हैं। हम बात कर रहे हैं एमडीयू के विधि विभाग की। यहां कहने को 26 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद स्वीकृत हैं, जबकि हैं महज दस। यही नहीं दो प्रोफेसर के पदों में एक ही है। यहां वर्ष 2009 से अब तक शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है। रिसोर्स पर्सन के जरिए काम चलाया जा रहा है। यह अकेला विभाग ऐसा नहीं है। बल्कि कुछ दूसरे विभागों में भी यही हाल है।


 

गुरुग्राम में 120 विद्यार्थियों पर 5 शिक्षक
एमडीयू के गुरुग्राम सेंटर में भी विधि विभाग के तीन वर्षीय कोर्स के 120 विद्यार्थी हैं। इनके लिए पांच शिक्षक हैं। यहां न विधि विभाग का और न ही प्रबंधन का प्रोफेसर है। विधि विभाग में करीब 18 शिक्षकों की जरूरत है। यहां भी नियमित नियुक्ति नहीं होने के चलते विद्यार्थी एकलव्य की तरह स्वाध्याय की राह पर नजर आ रहे हैं।
पीएचडी की डिग्री भी सवालों में घिरी
विधि विभाग में यही विद्यार्थी नहीं हैं। यहां एलएलएम, पीएचडी, एमफिल व साइबर ला कोर्स भी कराए जा रहे हैं। इनके लिए प्रोफेसर रेंक के शिक्षक की जरूरत पड़ती है। जबकि प्रोफेसरों की नियुक्ति ही नहीं हो रही है। ऐसे में पीएचडी की डिग्री भी सवालों में घिरी हुई है।
शिक्षिका पदोन्न्त हुई तो विभाग को मिली एचओडी
विधि विभाग के एचओडी के अवकाश पर जाने के बाद से यह पद रिक्त था। विभाग में इस पद की जिम्मेदारी लेने वाला कोई ओर सीनियर नहीं था। ऐसे में विभाग को एक शिक्षिका के पदोन्नत होने का इंतजार करना पड़ा। इसके बाद विभाग को नया एचओडी मिला।
बीसीआई के नियम पूरे करने जरूरी
बीसीआई यानी बार काउंसिल आफ इंडिया के नियम विधि विभाग चलाने के संबंध में बेहद कड़े हैं। नियम कहते हैं कि विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक ही नहीं विभाग का अध्यक्ष भी यहीं से होना चाहिए। यही नहीं मूट कोर्ट, कम्प्यूटर लैब, लाइब्रेरी व दूसरी जरूरी चीजेें होना जरूरी है।
इतिहास, अर्थशास्त्र व अन्य विभागों में भी यही हाल
एमडीयू के विधि विभाग के अलावा इतिहास, अर्थशास्त्र, सोशलॉजी, डिफेंस स्टडी व कुछ अन्य विभागों में शिक्षकों की कमी है। यहां भी विद्यार्थी आहत हैं। ये अपनी पढ़ाई या तो अपने स्तर पर कर रहे हैं या फिर कोचिंग लेने को विवश हैं।
कोर्ट में विचाराधीन है मामला
एमडीयू में शिक्षकों की कमी की बड़ी वजह कोर्ट केस बताया जा रहा है। विवि में दो वर्ष पहले कोर्ट में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर विवाद पहुंचा था। इसके बाद से विवि में भर्ती पर स्टे चल रहा है। नतीजतन नई नियुक्ति नहीं हो पा रही है।
विधि विभाग में शिक्षकों की कमी है। इस कारण अध्ययन कार्य प्रभावित है। विवि में नई भर्ती नहीं होने से यह कमी आई हुई है। ऐसे में बीसीआई विभाग की मान्यता समाप्त कर सकती है। विवि को यूजीसी की तरह बीसीआई के नियम पूरे करना जरूरी है।
-रामबीर बडाला, छात्र नेता, एमडीयू।
विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी है। यह कमी दूर की जाए। विवि में शिक्षकों की भर्ती आरक्षण रोस्टर रजिस्टर के अनुरूप की जाए। भर्ती में आरक्षित वर्ग को बैकलॉग पूरा कर उनका हक दिया जाए।
-विक्रम डूमोलिया, अध्यक्ष, एएमवीए।
एमडीयू में नियमित शिक्षकों की कुछ कमी है। इसे दूर किया जाएगा। फिलहाल कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर स्टे लगाया हुआ है। इस बारे में विवि अपना जवाब भेज कर भर्ती शुरू करने की अपील करेगा। इससे शिक्षकों की कमी दूर होगी और शिक्षण बेहतर होगा।